69 Thousand Teacher Vacancy In UP: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2019 की सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा को लेकर एक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पूरी तरह से नई चयन सूची तैयार की जाए। यह नई सूची 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 को जारी की गई पुरानी चयन सूचियों की जगह लेगी, जिसमें 6800 अभ्यर्थी शामिल थे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई सहायक अध्यापक, जो वर्तमान में कार्यरत है, इस नई चयन सूची से नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है, तो उसे चालू सत्र के लिए काम करना जारी रखने दिया जाए। इसका मतलब यह है कि इन शिक्षकों की नौकरी तुरंत नहीं जाएगी, भले ही वे नई सूची में शामिल न हों, और कुछ समय तक काम करना जारी रख सकते हैं।
69 Thousand Teacher Vacancy In UP
विधि संवाददाता, लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहायक अध्यापक भर्ती 2019 के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 69 हजार अभ्यर्थियों वाली चयन सूची को निरस्त करने का आदेश दिया है। नई चयन सूची बनाई जाए और सरकार समेत अन्य संबंधित अधिकारियों को तीन महीने के अंदर यह नई सूची जारी करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर नई चयन सूची से वर्तमान में कार्यरत किसी सहायक अध्यापक पर नकारात्मक असर पड़ता है तो उन्हें चालू सत्र में काम करते रहने दिया जाए। इससे छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो। साथ ही कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की सूची खारिज करने के पहले के फैसले का समर्थन किया।
69 हजार अभ्यर्थियों की मूल सूची एक जून 2020 को जारी की गई थी और 6800 अभ्यर्थियों की सूची पांच जनवरी 2022 को जारी की गई थी। यह फैसला न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने यह आदेश महेंद्र पाल और अन्य द्वारा एकल पीठ के फैसले के खिलाफ दायर 90 विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए दिया।
13 अगस्त को यह फैसला सुनाया गया
यह फैसला 13 अगस्त को सुनाया गया, लेकिन कोर्ट के फैसले की कॉपी शुक्रवार को कोर्ट की वेबसाइट पर ही उपलब्ध थी। कोर्ट ने 13 मार्च 2023 को सिंगल बेंच द्वारा दिए गए पहले के आदेश में थोड़ा बदलाव किया है। नए फैसले में कहा गया है कि आरक्षित वर्ग का कोई अभ्यर्थी सामान्य वर्ग में तभी जा सकता है, जब वह सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित योग्यता शर्तों को पूरा करता हो।
13 मार्च 2023 के फैसले को विशेष अपीलों में चुनौती दी गई थी। उस पहले के फैसले में सिंगल बेंच ने 69,000 अभ्यर्थियों की चयन सूची की समीक्षा की थी और 5 जनवरी 2022 को जारी 6,800 अभ्यर्थियों की सूची को भी खारिज कर दिया था।
सिंगल बेंच ने पहले फैसला सुनाया था कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में आरक्षण का लाभ पाने वाले अभ्यर्थियों को अनारक्षित श्रेणी में रखना सही है, बशर्ते कि उन्होंने सामान्य वर्ग के लिए जरूरी कटऑफ अंक हासिल किए हों। टीईटी केवल अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में भाग लेने के लिए योग्य बनाता है। हालांकि, एकल पीठ ने यह भी कहा कि सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ लेने वाले अभ्यर्थियों को अनारक्षित श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
ताजा फैसले में दो सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया है कि आरक्षित श्रेणी का अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी में तभी जा सकता है, जब वह सामान्य श्रेणी के लिए जरूरी मेरिट अंक हासिल कर ले। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों तरह के आरक्षण सही तरीके से लागू होने चाहिए। नई चयन सूची सेवा नियमावली 1981 के नियम 14 के तहत आरक्षण नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए तैयार की जानी चाहिए।
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